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Property Rule: केवल रजिस्ट्री करवाने से प्रॉपर्टी नहीं होती आपकी, इस डॉक्यूमेंट से मिलता है मालिकाना हक

अगर आप सोचते हैं कि रजिस्ट्री के बाद प्रॉपर्टी आपकी हो जाती है, तो सच जानने के लिए यह लेख जरूर पढ़ें। म्यूटेशन की प्रक्रिया कैसे बचा सकती है कानूनी विवादों से, जानिए यहां!

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अगर आप भी किसी संपत्ति की खरीदारी के बाद रजिस्ट्री (Registry) करवाकर सोचते हैं कि अब आप उस प्रॉपर्टी (Property) के मालिक बन गए हैं, तो यह आपकी एक बड़ी गलतफहमी हो सकती है। रजिस्ट्री केवल एक दस्तावेज है, जो संपत्ति की खरीदारी को वैधता प्रदान करता है, लेकिन यह आपको प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक (Ownership) नहीं दिलाता। मालिकाना हक के लिए म्यूटेशन (Mutation) की प्रक्रिया को पूरा करना अनिवार्य होता है।

मिली जानकारी के अनुसार, रजिस्ट्री (Registry) संपत्ति से संबंधित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज तो है, लेकिन यह संपत्ति का स्वामित्व सुनिश्चित नहीं करता। प्रॉपर्टी खरीदने के बाद लोगों को म्यूटेशन, यानी नामांतरण, की प्रक्रिया को भी समझना और पूरा करना चाहिए।

रजिस्ट्री और म्यूटेशन में फर्क

आमतौर पर लोग यह मान लेते हैं कि रजिस्ट्री (Registry) के बाद संपत्ति उनके नाम हो जाती है, लेकिन हकीकत इससे अलग है। रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया है जो यह साबित करती है कि संपत्ति का लेनदेन हुआ है। हालांकि, म्यूटेशन संपत्ति का नामांतरण सुनिश्चित करता है, जिससे सरकारी रिकॉर्ड में संपत्ति का मालिकाना हक आपके नाम पर दर्ज होता है।

म्यूटेशन का मतलब यह है कि जिस व्यक्ति ने संपत्ति खरीदी है, उसका नाम संबंधित सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए। यदि यह प्रक्रिया पूरी नहीं की जाती, तो संपत्ति का स्वामित्व पूर्व मालिक के नाम पर ही बना रहता है।

नामांतरण क्यों है जरूरी?

म्यूटेशन की प्रक्रिया न केवल प्रॉपर्टी के असली मालिक को पहचान देती है, बल्कि भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, यदि प्रॉपर्टी के म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है, तो वह अभी भी सरकारी रिकॉर्ड में पिछले मालिक के नाम पर दिखेगी। ऐसे में, संपत्ति पर दावा करने में मुश्किलें आ सकती हैं।

यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि केवल सेल डीड (Sale Deed) के आधार पर म्यूटेशन नहीं होता। म्यूटेशन के लिए आपको संबंधित दस्तावेज और आवेदन के साथ स्थानीय प्रशासनिक कार्यालयों में संपर्क करना पड़ता है।

कैसे करवाएं म्यूटेशन?

भारत में संपत्ति मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है—

  1. खेती की जमीन
  2. आवासीय जमीन
  3. औद्योगिक जमीन

इन तीनों प्रकार की संपत्तियों का म्यूटेशन अलग-अलग प्रक्रियाओं के तहत होता है।

खेती की जमीन का नामांतरण

खेती की जमीन के मामले में म्यूटेशन की प्रक्रिया पटवारी द्वारा की जाती है। आपको अपने संबंधित पटवारी कार्यालय में आवेदन देना होगा और जमीन के दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

आवासीय जमीन का नामांतरण

आवासीय जमीन का रिकॉर्ड संबंधित नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद, या ग्राम पंचायत के पास रहता है। यहां आवेदन देने के बाद नामांतरण की प्रक्रिया शुरू होती है।

औद्योगिक जमीन का नामांतरण

औद्योगिक जमीन का रिकॉर्ड औद्योगिक विकास केंद्रों में मौजूद होता है। प्रत्येक जिले में स्थित इन केंद्रों में जाकर संबंधित प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।

कहां से लें म्यूटेशन की जानकारी?

अगर आप अपनी संपत्ति का नामांतरण करना चाहते हैं, तो आपको यह जानना होगा कि संबंधित संपत्ति का रिकॉर्ड कहां दर्ज है। खेती की जमीन के लिए पटवारी से संपर्क करना होगा। आवासीय संपत्तियों के लिए नगर निगम या ग्राम पंचायत और औद्योगिक संपत्तियों के लिए औद्योगिक विकास केंद्र से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

यह जांच भी जरूरी है कि संबंधित संपत्ति का नामांतरण प्रक्रिया पहले पूरी की गई है या नहीं। इसके लिए आपको संबंधित कार्यालय में आवेदन जमा करना होगा और दस्तावेजों की जांच करवानी होगी।

मालिकाना हक के लिए सही प्रक्रिया अपनाएं

रजिस्ट्री (Registry) संपत्ति के लेनदेन को प्रमाणित करती है, लेकिन म्यूटेशन (Mutation) ही यह सुनिश्चित करता है कि आप सरकारी रिकॉर्ड में उस संपत्ति के मालिक हैं। इस प्रक्रिया को नजरअंदाज करने से भविष्य में विवाद और कानूनी समस्याएं हो सकती हैं।

इसलिए, यदि आपने हाल ही में कोई प्रॉपर्टी खरीदी है, तो रजिस्ट्री के साथ म्यूटेशन को भी अनिवार्य रूप से पूरा करें। संबंधित दस्तावेज और प्रक्रियाओं की जानकारी के लिए स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें।

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