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2 से ज्यादा बच्चे होने पर ही लड़ पाएंगे चुनाव! इस राज्य का बड़ा और अनोखा फैसला

जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में कदम उठाते हुए इस राज्य ने बड़ा फैसला लिया है। अब 2 से ज्यादा बच्चे होने पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाएगी। जानें, कौन होंगे प्रभावित और इस फैसले का क्या होगा असर। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर।

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2 से ज्यादा बच्चे? तभी लड़ सकेंगे चुनाव! आंध्र प्रदेश का अनोखा फैसला

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है, जो देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भविष्य में ऐसी नीतियां लागू करने की योजना बना रही है, जिसमें केवल दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों को पंचायत और नगरपालिका चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाएगी। यह बयान उन्होंने तिरुपति के पास अपने गांव नरवरिपल्ले में मकर संक्रांति उत्सव के दौरान दिया।

पुराने कानून में बदलाव और नई सोच

यह बयान तीन दशक पुराने उस कानून के बदलाव के कुछ महीनों बाद आया है, जिसमें दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया गया था। मुख्यमंत्री नायडू ने इसे भारत में परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण की पारंपरिक सोच के खिलाफ एक नई दिशा में कदम बताया है।

नायडू ने कहा, “पहले का कानून दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देता था। अब समय बदल गया है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जिन परिवारों के दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिले।”

ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को सब्सिडी का फायदा

नायडू ने ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहन देने के लिए सब्सिडी में बदलाव का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हर परिवार को 25 किलोग्राम सब्सिडी वाला चावल दिया जाता है। यह मात्रा प्रति सदस्य 5 किलोग्राम है। अब वे ऐसी योजना पर विचार कर रहे हैं, जिसमें बड़े परिवारों को ज्यादा मात्रा में सब्सिडी वाला चावल उपलब्ध कराया जाएगा।

जापान और यूरोप का दिया उदाहरण

मुख्यमंत्री ने जापान, कोरिया और यूरोपीय देशों का हवाला देते हुए कहा कि इन देशों ने अपने यहां जनसंख्या को सीमित करने की नीति अपनाई थी। अब ये देश बुजुर्ग आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं और विदेशी श्रमिकों को आमंत्रित कर रहे हैं। नायडू ने भारत के लिए इसे एक चेतावनी के रूप में देखा और कहा, “अगर हम सही नीतियां नहीं अपनाते हैं, तो भारत को भी भविष्य में ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।”

बढ़ती उम्र की समस्या से निपटने की योजना

नायडू ने अपने बयान में भारत की जनसंख्या और प्रजनन दर पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में दक्षिण भारतीय राज्यों की कुल प्रजनन दर (TFR) 1.73 है, जो राष्ट्रीय औसत 2.1 से कम है। वहीं, उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड की प्रजनन दर 2.4 है। नायडू का मानना है कि यह असमानता देश के जनसांख्यिकीय संतुलन को प्रभावित कर सकती है।

देशव्यापी बहस की मांग

मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर एक राष्ट्रीय बहस की आवश्यकता बताई। उनका मानना है कि 2047 तक सही नीतियों के जरिए भारत एक बड़े जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठा सकता है। उन्होंने कहा, “अगर हम सही समय पर कदम नहीं उठाते हैं, तो भारत को भी बुजुर्ग आबादी की समस्या का सामना करना पड़ेगा।”

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री का समर्थन

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी इस विचार का समर्थन किया। स्टालिन ने अपने राज्य के लोगों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की और कहा कि यह समय जनसंख्या को लेकर नई सोच अपनाने का है।

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