दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने संपत्ति विवाद से जुड़े एक अहम मामले में फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि पति की मौत के बाद पत्नी को उसकी संपत्ति का ‘पूरा अधिकार’ नहीं होता। कोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Act) के तहत पत्नी को पति की संपत्ति का लाभ उठाने का अधिकार है, लेकिन वह इस संपत्ति की पूर्ण स्वामी नहीं बन सकती। यह फैसला जस्टिस प्रतिभा एम। सिंह ने सुनाया, जिसमें संपत्ति के बंटवारे से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया।
क्या है मामला?
यह मामला दिल्ली के एक परिवार का था, जिसमें संपत्ति के बंटवारे को लेकर चार भाई-बहनों (तीन बेटे और एक बेटी) ने अन्य तीन भाई-बहनों और एक पोती के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। विवाद की जड़ पिता की वसीयत थी, जिसमें उन्होंने अपनी संपत्ति पत्नी के नाम कर दी थी।
ट्रायल कोर्ट (Trial Court) ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि पिता की वसीयत के मुताबिक, संपत्ति पर मां का अधिकार है। लेकिन मां की मौत के बाद संपत्ति का बंटवारा वसीयत के अनुसार होना चाहिए। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जहां जस्टिस प्रतिभा एम। सिंह ने इसे बरकरार रखते हुए वसीयत की शर्तों को प्रमुखता दी।
वसीयत की शर्तें
विवाद की शुरुआत जनवरी 1989 में लिखी गई एक वसीयत से हुई। वसीयत के अनुसार, पिता ने अपनी संपत्ति का पूरा अधिकार अपनी पत्नी को दे दिया था। लेकिन इसमें यह भी स्पष्ट किया गया था कि पत्नी संपत्ति को बेच नहीं सकती और न ही किसी और के नाम स्थानांतरित कर सकती है।
वसीयत में यह भी लिखा गया था कि पत्नी की मृत्यु के बाद संपत्ति चार बेटों को छोड़कर अन्य उत्तराधिकारियों में बांटी जाएगी। 2012 में पत्नी की मृत्यु के बाद इस संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हुआ।
हाईकोर्ट का फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि पति ने अपनी वसीयत में जो शर्तें रखी थीं, वे स्पष्ट थीं। पत्नी को संपत्ति का लाभ उठाने का अधिकार था, लेकिन वह इसे बेचने या स्थायी रूप से अपने नाम करने की हकदार नहीं थी।
जस्टिस प्रतिभा एम। सिंह ने कहा कि हिंदू महिलाओं के संदर्भ में, जिनके पास अपनी आय के साधन नहीं होते, उनके लिए पति की संपत्ति का उपयोग जीवन यापन के लिए आवश्यक है। हालांकि, यह अधिकार केवल उनकी वित्तीय सुरक्षा तक सीमित है और इसे संपत्ति पर ‘पूर्ण अधिकार’ नहीं माना जा सकता।
हिंदू उत्तराधिकार कानून
हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 (Hindu Succession Act, 1956) के तहत पति की संपत्ति पर पत्नी के अधिकार को सीमित रूप से परिभाषित किया गया है। कानून के अनुसार:
- यदि पति ने वसीयत बना रखी है और पत्नी का नाम नॉमिनी में दर्ज है, तो संपत्ति पत्नी को मिलती है।
- यदि पति की मौत बिना वसीयत के होती है, तो पैतृक संपत्ति पत्नी और अन्य उत्तराधिकारियों के बीच समान रूप से बांटी जाती है।
- पत्नी को पति की संपत्ति से होने वाली आय का उपयोग जीवन यापन के लिए करने का अधिकार है, लेकिन वह इसे अपने नाम नहीं कर सकती।
वित्तीय सुरक्षा बनाम पूर्ण अधिकार
जस्टिस प्रतिभा एम। सिंह ने कहा कि हिंदू समाज में महिलाओं के पास अक्सर आय के स्वतंत्र साधन नहीं होते। ऐसे में पति की संपत्ति उनकी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करती है। लेकिन इसे पति की संपत्ति पर पूर्ण अधिकार के रूप में नहीं देखा जा सकता।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पति की संपत्ति को पत्नी के जीवनकाल तक गुजारे के लिए उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसे ‘पूर्ण स्वामित्व’ के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
वसीयत की भूमिका
इस मामले में वसीयत की शर्तों ने अहम भूमिका निभाई। हाईकोर्ट ने कहा कि वसीयत के बिना संपत्ति के बंटवारे को लेकर अक्सर विवाद होता है। लेकिन जब वसीयत स्पष्ट हो, तो उसकी शर्तों का पालन करना अनिवार्य है।
यह मामला संपत्ति के उत्तराधिकार के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करता है और इस बात को रेखांकित करता है कि वसीयत का होना कितना महत्वपूर्ण है।