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21 जनवरी को लेकर हुआ बड़ा ऐलान, बढ़ गई लोगों की टेन्शन

पंजाब में शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन और तेज हो गया है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने 21 जनवरी को दिल्ली कूच की घोषणा की है, जिसमें 101 किसान शामिल होंगे। उनकी मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून है। जानें, आंदोलन के मुख्य मुद्दे, सरकार की प्रतिक्रिया और प्रदर्शन का व्यापक असर।

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21 जनवरी को लेकर हुआ बड़ा ऐलान, बढ़ गई लोगों की टेन्शन
21 जनवरी को लेकर हुआ बड़ा ऐलान, बढ़ गई लोगों की टेन्शन

पंजाब में शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। किसानों ने 21 जनवरी को दिल्ली की ओर कूच करने का ऐलान किया है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि इस कूच में 101 किसान शामिल होंगे। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार अभी भी उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। ऐसे में आंदोलन को और तेज करना अनिवार्य हो गया है।

केंद्र सरकार के प्रति सख्त चेतावनी

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को उनके कार्यकाल के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की गारंटी देने वाला कानून लाना होगा। उन्होंने कहा कि किसानों की सभी मांगें देश हित में हैं और इन पर कार्रवाई न होने से किसानों का भविष्य असुरक्षित है।

दिल्ली कूच की तैयारी तेज़

किसानों ने दिसंबर महीने में भी तीन बार दिल्ली की ओर कूच करने की कोशिश की थी, लेकिन हर बार हरियाणा पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक दिया। अब किसानों ने 21 जनवरी को एक बार फिर दिल्ली जाने का निर्णय लिया है। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि अगर उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और अधिक उग्र किया जाएगा।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून की मांग

किसानों की मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की गारंटी देने वाले कानून की है। उनका कहना है कि यह कानून न केवल किसानों के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करेगा, बल्कि देश की कृषि व्यवस्था को भी मजबूती देगा। इसके अलावा किसान कर्ज माफी, बिजली सब्सिडी और नए कृषि कानूनों को किसानों के हित में संशोधित करने की मांग कर रहे हैं।

खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल जारी

शंभू बॉर्डर के अलावा खनौरी बॉर्डर पर भी किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 52 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। उनकी हालत गंभीर हो चुकी है और डॉक्टरों ने उनकी सेहत को लेकर चिंता जताई है। डॉक्टरों का कहना है कि डल्लेवाल को अब बोलने में भी कठिनाई हो रही है और उनका रक्तचाप अस्थिर है।

111 किसानों ने शुरू की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

जगजीत सिंह डल्लेवाल के समर्थन में बुधवार को 111 किसानों ने भी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। यह भूख हड़ताल अब अपने दूसरे दिन में प्रवेश कर चुकी है। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

आंदोलन के मुख्य मुद्दे

किसान आंदोलन के पीछे मुख्य चार बड़े मुद्दे हैं। पहला, MSP गारंटी कानून जो किसानों की आय को सुनिश्चित करेगा। दूसरा, किसानों पर बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने के लिए कर्ज माफी। तीसरा, कृषि क्षेत्र के लिए बिजली सब्सिडी की बहाली। चौथा, नए कृषि कानूनों को किसानों के हित में संशोधित करना। इन मुद्दों को लेकर किसान लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं।

सरकार का रुख और किसानों की प्रतिक्रिया

अब तक केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। आंदोलनकारी किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी समस्याओं को जानबूझकर नजरअंदाज कर रही है। किसान नेताओं ने कहा है कि यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन और तेज होगा, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

आंदोलन का व्यापक प्रभाव

किसान आंदोलन का प्रभाव देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक ढांचे पर पड़ा है।
आर्थिक रूप से, इस लंबे आंदोलन ने कृषि क्षेत्र और आपूर्ति श्रृंखला को बुरी तरह प्रभावित किया है।
सामाजिक रूप से, इसने किसानों को संगठित किया और उनकी समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया।
राजनीतिक रूप से, इस आंदोलन ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है कि वह किसानों की मांगों पर विचार करे।

डॉक्टरों की चेतावनी और भूख हड़ताल का असर

डॉक्टरों ने भूख हड़ताल पर बैठे किसानों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति आगाह किया है। लंबे समय तक भूखा रहने से न केवल शरीर कमजोर होता है, बल्कि यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके बावजूद किसान अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और उनका कहना है कि उनकी लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं।

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