लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र में स्थित दर्जन भर से ज्यादा गांवों की जमीनों की खरीद-बिक्री अब पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है। इन गांवों में किसी भी प्रकार की रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी और न ही कोई नक्शा पास किया जा सकेगा। प्रशासन ने इन गांवों की जमीनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसके अलावा, आवास विकास परिषद द्वारा मोहनलालगंज और गोसाईंगंज के बीच प्रस्तावित नई टाउनशिप के चलते, इन गांवों की जमीनों पर नक्शा पास करने के लिए एनओसी (No Objection Certificate) देने पर भी रोक लगा दी गई है।
इस फैसले के बाद इन क्षेत्रों की जमीनों की खरीद-बिक्री में तेजी आई थी, लेकिन अब प्रशासन ने इस पर पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित कर दिया है। इस कार्रवाई का मुख्य कारण है कि इन गांवों की जमीनें अब आवास विकास योजना के दायरे में आ गई हैं। इस योजना के तहत इन जमीनों पर कोई भी निर्माण कार्य, नक्शा पास करने या रजिस्ट्री कराने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
नई टाउनशिप का प्रभाव
आवास विकास परिषद मोहनलालगंज और गोसाईंगंज के बीच एक नई टाउनशिप विकसित करने जा रही है। इस योजना की घोषणा के बाद इलाके में जमीनों की खरीद-बिक्री का सिलसिला तेज हो गया था। बड़े-बड़े बिल्डरों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए जमीनें खरीदी थीं और नक्शे पास कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हालांकि, लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) में सैकड़ों नक्शे दाखिल हुए, लेकिन कई मामलों में एसडीएम मोहनलालगंज से एनओसी मांगी गई, जिसे जारी करने से मना कर दिया गया। एसडीएम ने बताया कि यह जमीनें आवास विकास की योजना के तहत आ गई हैं, इसलिए इन पर किसी प्रकार की एनओसी जारी नहीं की जा सकती।
रजिस्ट्री पर रोक
जिला प्रशासन ने खासतौर पर मोहारी कला, सिथौली खुर्द, सिथौली कला और हबुवापुर के गांवों की 309.5 एकड़ भूमि पर रोक लगा दी है। इन जमीनों की रजिस्ट्री पर अब कोई कार्यवाही नहीं की जा सकेगी। लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक आवेदन प्राप्त हुआ था, जिसमें मोहारी कला गांव की जमीन पर नक्शा पास कराने की कोशिश की गई थी। इस आवेदन पर प्रशासन ने जवाब दिया कि तहसीलदार मोहनलालगंज द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि आवास विकास योजना की वजह से इन जमीनों पर रजिस्ट्री और नक्शा पास करना प्रतिबंधित है।
प्रशासन का कदम
मोहनलालगंज के एसडीएम बृजेश वर्मा ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि कई गांवों की जमीनों की रजिस्ट्री और नक्शा पास करने पर अब रोक लगा दी गई है। उनका कहना था कि यह कदम आवास विकास की योजना के तहत लिया गया है, जिससे इन क्षेत्रों की भूमि पर भविष्य में कोई अन्य निर्माण कार्य न हो सके। प्रशासन की यह कार्रवाई स्थानीय निवासियों और बिल्डरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, क्योंकि इससे उनकी भूमि की खरीद-बिक्री और निर्माण कार्य में अड़चन आ रही है।
यह कदम न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि बड़े-बड़े बिल्डरों के लिए भी एक झटका साबित हो सकता है, क्योंकि वे इस योजना के तहत बड़ी संख्या में भूमि खरीद चुके थे और अब इन जमीनों पर कोई काम करना उनके लिए मुश्किल हो सकता है। हालांकि, प्रशासन का यह कदम जमीनों के अनियंत्रित उपयोग को रोकने और योजना के अनुसार भूमि के विकास को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
आगे क्या होगा?
अभी के लिए यह स्थिति साफ नहीं है कि प्रशासन इस रोक को कब तक बनाए रखेगा या क्या भविष्य में इस पर कोई संशोधन होगा। हालांकि, अगर आवास विकास योजना के तहत कोई और बदलाव होते हैं, तो यह हो सकता है कि इन गांवों की भूमि पर लागू की गई रोक को हटा लिया जाए। फिलहाल के लिए, यहां के निवासियों और बिल्डरों को किसी भी प्रकार की जमीन की खरीद-बिक्री या नक्शा पास कराने में समस्या आ रही है।
आवास विकास परिषद के अधिकारियों के अनुसार, यह कदम शहर में अनियंत्रित शहरीकरण को रोकने और योजनाबद्ध विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।