राजस्थान में 6759 ग्राम पंचायतों के सरपंचों का कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त होने वाला है, लेकिन राज्य सरकार ने बुधवार को जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार, इन सरपंचों का कार्यकाल बढ़ा दिया है। अब ये सरपंच आगामी पंचायत चुनाव तक ग्राम पंचायतों के प्रशासक के रूप में कार्य करेंगे। राज्य सरकार का यह कदम ग्राम पंचायतों के चुनावों को एक साथ कराने की योजना के तहत उठाया गया है, ताकि सभी पंचायती राज चुनाव एक ही समय पर कराए जा सकें।
राज्य में कुल 11,000 से अधिक ग्राम पंचायतें हैं और इनमें से 6759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल जनवरी 2025 में खत्म हो जाएगा। जबकि 704 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल मार्च 2025 में समाप्त होगा, वहीं करीब 3847 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल सितंबर और अक्टूबर 2025 में पूरा होगा। इन ग्राम पंचायतों के लिए नए चुनाव कराए जाने थे, लेकिन राज्य सरकार ने सभी पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने का निर्णय लिया है। इस दौरान, सरपंचों का कार्यकाल बढ़ने से वे प्रशासक के रूप में कार्य करते रहेंगे, जब तक अन्य ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त नहीं हो जाता।
सरपंचों के लिए मददगार समितियों का गठन
प्रशासक के रूप में कार्य करते हुए, सरपंचों को हर ग्राम पंचायत में समितियों का सहयोग मिलेगा। इन समितियों का गठन पांच सदस्यीय किया गया है, जिसमें उप सरपंच और वार्ड पंच शामिल हैं। यह समितियां प्रशासक को पंचायत के विकास कार्यों के लिए सिफारिशें देंगी। इन सिफारिशों पर ही प्रशासक पंचायतों में विकास कार्यों को आगे बढ़ाएंगे।
सरकार का यह कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण है कि पंचायती राज चुनावों को एक साथ कराया जा सके। हालांकि, अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव कब होंगे, क्योंकि कई ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन किया जा सकता है, और पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी होने तक चुनावों को टाला जा सकता है।
सरपंचों की राहत और आभार
राज्य सरकार ने सरपंचों की मांग पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया है कि अगले चुनाव तक सरपंच ही ग्राम पंचायत के प्रशासक के रूप में कार्य करेंगे। अब तक सरकार ने ग्राम विकास अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त किया था, लेकिन सरपंचों के विरोध के बाद सरकार ने इस बार सरपंचों को ही प्रशासक बनाए रखने का फैसला लिया है। इससे सरपंचों में खुशी की लहर है और उन्होंने राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया है।
राज्य सरकार के इस कदम से सरपंचों को न केवल राहत मिली है, बल्कि यह भी सुनिश्चित हुआ है कि पंचायतों में विकास कार्यों में कोई रुकावट नहीं आएगी। हालांकि, सरपंचों को अब पंचायत चुनावों की तारीखों का इंतजार करना होगा, जो आने वाले समय में तय की जाएंगी।
सरपंचों के लिए क्या है भविष्य का रोडमैप?
राज्य सरकार का यह कदम अगले कुछ महीनों में पंचायतों के कामकाज को सुलझाने में सहायक साबित हो सकता है। वर्तमान में सरकार पंचायत चुनावों को एक साथ कराने के लिए तैयार है, लेकिन चुनावों की तारीखों का निर्धारण समय और पुनर्गठन कार्यों पर निर्भर करेगा। सरपंचों के प्रशासक के रूप में कार्य करने के बावजूद, उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी निष्ठा से करना होगा। आने वाले दिनों में पंचायतों के लिए इस व्यवस्था के सफल कार्यान्वयन पर सवाल उठ सकते हैं, लेकिन फिलहाल सरकार और सरपंचों के बीच एक मजबूत समन्वय दिख रहा है।
राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि ग्राम पंचायतों में विकास कार्य रुके नहीं और चुनाव के बाद भी पंचायतों का संचालन प्रभावी तरीके से किया जा सके। जबकि पंचायत चुनावों की तारीखों का ऐलान होना बाकी है, सरपंचों का कार्यकाल बढ़ने से एक राहत की लहर भी महसूस की जा रही है।