उत्तराखंड सरकार ने 23 जनवरी 2025 को नगर निकाय चुनावों के मद्देनजर राज्यभर में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। इस दिन राज्य के सभी सरकारी कार्यालय, निजी शिक्षण संस्थान, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और कारखाने बंद रहेंगे। यह फैसला मतदान प्रक्रिया को सुचारू रूप से संपन्न कराने और ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
नगर निकाय चुनाव की तैयारियां अंतिम चरण में
उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव को लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। निर्वाचन विभाग ने शत-प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया है।
प्रत्याशी अपने गली-मोहल्लों में प्रचार अभियान चला रहे हैं। वे मतदाताओं से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। साथ ही, प्रशासन ने चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं।
सार्वजनिक अवकाश का उद्देश्य
राज्य सरकार द्वारा घोषित इस सार्वजनिक अवकाश का मुख्य उद्देश्य मतदान प्रक्रिया को बाधारहित बनाना है।
- सरकारी दफ्तर बंद: इस दिन सभी सरकारी कार्यालय और शिक्षण संस्थान पूरी तरह बंद रहेंगे।
- निजी प्रतिष्ठान: वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों और मजदूरों को भी अवकाश दिया गया है।
- लोकतांत्रिक भागीदारी: सरकार के इस निर्णय से मतदाताओं को अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
चुनाव के दौरान प्रशासनिक तैयारियां
चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं।
- सुरक्षा बलों की तैनाती: सभी मतदान केंद्रों पर सुरक्षा बल तैनात रहेंगे।
- ईवीएम की जांच: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की जांच और सेटअप की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
- निगरानी प्रणाली: चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं।
मतदाताओं के लिए जरूरी निर्देश
मतदाताओं को निर्वाचन आयोग द्वारा कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं।
- मतदान का समय: सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान किया जा सकता है।
- पहचान पत्र अनिवार्य: मतदान केंद्र पर पहचान पत्र ले जाना जरूरी है।
- सुरक्षा नियम: मतदान केंद्रों पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सभी नियमों का पालन करें।
लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करते हैं स्थानीय चुनाव
नगर निकाय चुनाव केवल स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों को गति देने का माध्यम नहीं हैं, बल्कि ये लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। ये चुनाव जनता को अपने अधिकारों का उपयोग करने और शासन में सीधे भागीदार बनने का अवसर देते हैं।